महाराष्ट्र के सातारा जिले के प्रवीण जाधव के पास बचपन में दो ही रास्ते थे या तो वह अपने पिता की तरह दिहाड़ी मजदूरी करते या फिर जिंदगी बेहतर करने के लिए ट्रैक पर सरपट दौड़ जाते। प्रवीण ने खुद भी...
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दिहाड़ी मजदूरी से बचने के लिए प्रवीण बने आर्चर, इतिहास रचने की कगार पर
Reviewed by hc news
on
July 20, 2021
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